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DELHI HIGH COURT |
New delhi . दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जमनी पर बसे हजरत निजामुद्दीन के ग्यासपुर इलाके के लगभग 32 झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ने पर फिलहाल 11 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि वहां वर्ष 1995 से झुग्गी है और 10 दिन के लिए और उसे रहने दिया जाता है तो आसमान टूट नहीं पड़ेगा. इस दशा में वहां यथास्थिति बरकरार रखा जाए. कोर्ट ने कहा कि झुग्गियों को 10 दिन बाद तोड़ने से कुछ नहीं हो जाता. कोर्ट ने कहा कि अगर अभी उसे तोड़ दिया जाए और बाद में पता चले कि वे उसके अधिकारी है तो क्या होगा, इसलिए इस मुद्दे पर 11 जुलाई को विचार किया जाएगा. तबतक के लिए यथास्थिति बरकरार रखा जाए.
झुग्गी तोड़े जाने से पहले डीडीए ने कोई नोटिस नहीं दिया है.
झुग्गीवालों ने कहा कि वे वहां दो दशकों से रह रहे हैं और उनकी झुग्गी तोड़े जाने से पहले डीडीए ने कोई नोटिस नहीं दिया है. जबकि वे लोग वर्ष 2015 में बने पुर्नवास योजना के अधिकारी हैं और उनका झुग्गी तोड़े जाने से पहले उनलागों का पुर्नवास किया जाए. याचिकाकर्ता झुग्गीवासियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि ग्यासपुर का टी-हट्स इलाका प्रशासन खाली करवाना चाहता है. उस स्थान पर 32 झुग्गियां और मकान पिछले दो दशकों से बने हुए हैं.
पुनर्वास देने का प्रावधान किया गया है.
याचिका में कहा गया है कि इलाके के आस-पास बुलडोजर लगा दिया गया है और डीडीए के अधिकारी मौखिक रुप से इलाके को खाली करने को कह रहे हैं. लेकिन वहां के लोगों को अभी तक कोई भी औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया है. यहां तक कि डीडीए ने उस इलाके का कोई सर्वे भी नहीं कराया है. डीडीए ने उस इलाके के लोगों के पुनर्वास की कोई वैकल्पिक योजना भी नहीं बनाई है. इसकी वजह से लोग काफी डरे हुए हैं. याचिका में यथास्थिति बहाल रखने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड और झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास नीति के तहत पुनर्वास देने का प्रावधान किया गया है.